ऊँची उड़ान

-

गरीबी में बीता जिसका बचपन, 

बिन खाये बीती गयी रातें, 

इन सबके बावजूद

ऊंचाइयों को छूना

हमेशा उसके ज़हन में था। 

 

सोचा उसने कि

कुछ करना है मुझे

इस गरीबी से निकलना है मुझे, 

मेहनत करके उड़ना है मुझे, 

ऊंचाइयों को छूना है मुझे, 

हार नहीं माननी है मुझे, 

सपना पूरा करना है मुझे। 

 

सफल हुई उसकी मनोकामना, 

बना वो बादलों का लाडला, 

छूई उसने अपनी मंज़िल, 

भरने लगा उड़ान सपनों की। 

 

मिसाल बना वो उन सबके लिए

जो जिंदगी से हार मान गए थे, 

ऊंचा उड़ना मुश्किल नहीं था, 

ये सिखाया था उसने। 

 

Photo by Svyatoslav Romanov on Unsplash

 

Don’t miss my writings!

We don’t spam!

Share this article

Recent posts

Myriad Hues of Life

Nature’s Painting

The Feeling!!

Triveni

Smoke or Waterfall?

Popular categories

Previous article
Next article

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here